Lyricist: Aziz Qaisi
Singer: Jagjit Singh
आपको देख कर देखता रह गया
क्या कहूँ और कहने को क्या रह गया।
उनकी आँखों से कैसे छलकने लगा
मेरे होठों पे जो माजरा रह गया।
ऐसे बिछड़े सभी रात के मोड़ पर
आखिरी हमसफ़र रास्ता रह गया।
सोच कर आओ कू-ए-तमन्ना है ये
जानेमन जो यहाँ रह गया रह गया।
Singer: Jagjit Singh
आपको देख कर देखता रह गया
क्या कहूँ और कहने को क्या रह गया।
उनकी आँखों से कैसे छलकने लगा
मेरे होठों पे जो माजरा रह गया।
ऐसे बिछड़े सभी रात के मोड़ पर
आखिरी हमसफ़र रास्ता रह गया।
सोच कर आओ कू-ए-तमन्ना है ये
जानेमन जो यहाँ रह गया रह गया।
No comments:
Post a Comment